धामी: उत्तराखंड के यशवंत सिंह परमार बनने की ओर अग्रसर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का नाम आज उत्तराखंड के विकास और भविष्य के सुनहरे सपनों के साथ जुड़ा हुआ है। यह नाम केवल एक मुख्यमंत्री का नहीं, बल्कि एक दूरदर्शी नेता का है, जिसने राज्य की हर सांस में नई ऊर्जा और उम्मीदें भरी हैं। और जब हाल ही में धामी जी के अचानक गैरसैंण वॉक की तस्वीरें सामने आईं, तो एक बार फिर उन्होंने यह साबित किया कि वह सिर्फ शब्दों के नेता नहीं, बल्कि कर्मठ और जनहित के प्रति समर्पित व्यक्ति हैं।
गैरसैंण, जो उत्तराखंड की स्थाई राजधानी बनने की प्रतीकात्मक आकांक्षाओं का केंद्र है, धामी जी के कदमों के साथ आज एक बार फिर जीवंत हो उठा है। उनके वॉक की यह साधारण-सी लगने वाली तस्वीरें दरअसल असाधारण संदेश दे रही हैं। धामी जी का यह वॉक शायद उत्तराखंड के यशवंत सिंह परमार बनने की दिशा में उनका पहला कदम है। जैसा कि हिमाचल प्रदेश में परमार जी ने एक पहाड़ी राज्य की राजधानी शिमला को स्थापित करके प्रदेशवासियों के सपनों को साकार किया, ठीक वैसे ही धामी जी के कदम आज गैरसैंण को राज्य का दिल बनाने की ओर बढ़ रहे हैं।
गैरसैंण की ठंड, बर्फबारी, और बरसात का सामना करने में आज कोई कठिनाई महसूस नहीं होती, क्योंकि धामी जी के इरादे इन चुनौतियों से कहीं अधिक मजबूत हैं। वह जानते हैं कि उत्तराखंड के पहाड़ों में छिपी ताकत और यहां के लोगों की उम्मीदों को तभी सही मायने में साकार किया जा सकता है, जब राजधानी का हृदय पहाड़ों में ही धड़कने लगे। उनके वॉक में निहित इशारों से साफ है कि धामी जी का लक्ष्य गैरसैंण को सिर्फ एक नाम या प्रतीक नहीं, बल्कि एक सजीव और कार्यशील राजधानी बनाना है।
आज, जब राजनीति में आमतौर पर त्वरित सफलता की तलाश की जाती है, धामी जी एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण रखते हुए उत्तराखंड के भविष्य को गढ़ रहे हैं। उन्होंने कई बार यह साबित किया है कि वह जनता की नब्ज को बखूबी समझते हैं। चाहे वह विकास की योजनाओं को धरातल पर उतारने की बात हो, या फिर जन आकांक्षाओं के अनुरूप निर्णय लेने की—धामी जी हमेशा जनता के हित में खड़े रहे हैं।
उत्तराखंड की जनता अब यह उम्मीद कर रही है कि उनके नेता धामी जी, दिल्ली की सत्ता की परवाह किए बिना, गैरसैंण को स्थाई राजधानी के रूप में स्थापित करने का साहसिक निर्णय लेंगे। और क्यों नहीं? धामी जी के पास यह मौका है कि वह अपने नाम को उत्तराखंड के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखवा सकें। गैरसैंण में सचिवालय और मुख्यमंत्री आवास की स्थापना से केवल एक राजधानी नहीं, बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ों की अस्मिता और स्वाभिमान को भी पुनर्जीवित किया जाएगा।
धामी जी, यह समय आपके लिए एक अद्वितीय अवसर है। यदि दिल्ली से दबाव आए तो बिना किसी हिचकिचाहट के, गैरसैंण को स्थाई राजधानी बनाने की फाइल पर हस्ताक्षर कर दीजिए। आपकी इस पहल से आप न सिर्फ उत्तराखंड के नेता, बल्कि यहां के पहाड़ों के असली रक्षक बन जाएंगे। राज्य की जनता आपके साथ दीवार बनकर खड़ी होगी, और आपके नाम को एक ऐसे नेता के रूप में याद किया जाएगा, जिसने अपने राज्य के लिए इतिहास रच दिया।
मुख्यमंत्री धामी जी, यह वक्त है कि आप उत्तराखंड के यशवंत सिंह परमार बनकर इतिहास में दर्ज हों।