पैरोल और फरलो दोनों कानूनी प्रक्रियाएं हैं, जिनके तहत कैदियों को जेल से अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है। हालांकि, इन दोनों में कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं:
1. पैरोल (Parole):
- परिभाषा: पैरोल एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके तहत कैदी को अच्छे व्यवहार के आधार पर जेल से अस्थायी रूप से रिहा किया जाता है, लेकिन उसे समय-समय पर पुलिस को रिपोर्ट करनी होती है और कई नियमों का पालन करना पड़ता है।
- अवधि: पैरोल की अवधि अदालत या संबंधित प्राधिकरण द्वारा निर्धारित की जाती है और इसे बढ़ाया भी जा सकता है।
- कारण: पैरोल आमतौर पर आपातकालीन कारणों, जैसे कि परिवार में किसी की गंभीर बीमारी या मृत्यु, के लिए दी जाती है।
- शर्तें: पैरोल पर रिहा व्यक्ति को अपनी रिहाई की शर्तों का पालन करना होता है। अगर वह शर्तों का उल्लंघन करता है, तो उसे फिर से जेल भेज दिया जाता है।
2. फरलो (Furlough):
- परिभाषा: फरलो एक निर्धारित अवधि के लिए दी जाने वाली छुट्टी है, जो कैदी के अधिकार के रूप में मानी जाती है, बशर्ते कि वह उसके अच्छे आचरण का पालन कर रहा हो।
- अवधि: फरलो की अवधि भी निश्चित होती है, लेकिन यह सामान्यतः छोटी होती है और इसे आपात स्थिति के अलावा भी दिया जा सकता है।
- कारण: फरलो का कारण अधिक व्यापक हो सकता है, जैसे कि सामाजिक पुनर्वास, निजी कार्य, या आराम के लिए।
- शर्तें: फरलो पर जाने के लिए कैदी को अपनी स्थिति की पुष्टि करनी होती है, लेकिन इसे अधिकार माना जाता है, जिसका उल्लंघन न होने पर कैदी फरलो की पूरी अवधि जेल के बाहर बिता सकता है।
मुख्य अंतर:
- पैरोल आपातकालीन स्थिति के लिए होती है और इसकी शर्तें कड़ी होती हैं, जबकि फरलो कैदी के अधिकार के रूप में दी जाती है और इसके कारण अधिक व्यापक हो सकते हैं।
इस प्रकार, आसाराम को पैरोल मिली है, जो आपातकालीन स्थिति में दी जाती है, जबकि राम रहीम को फरलो मिली है, जो उसे अपने अधिकार के रूप में प्राप्त हुई है।