बाबा सिद्दीकी: घड़ीसाजी से ‘खरबों’ का सफर, या फिर कोई जादू?
बिहार के गोपालगंज से बांद्रा की सड़कों पर घड़ीसाज का काम करने वाले बाबा सिद्दीकी ने आखिर ऐसा कौन सा ‘करिश्मा’ कर दिखाया कि आज बॉलीवुड का हर गेट उनके ‘ग्रीन सिग्नल’ का मोहताज हो गया है? महज 30 साल में घड़ी की सुइयों से अरबों की संपत्ति बटोरने वाले इस शख्स की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं लगती। अब सवाल यह है कि घड़ीसाजी और चाऊमीन ठेले से खरबों तक का सफर तय करने के लिए कौन सा ‘अलादीन का चिराग’ बाबा के हाथ लग गया?
बॉलीवुड का ‘नायक’:
कहते हैं कि आज की तारीख में बिना बाबा सिद्दीकी की मंजूरी के न तो कोई फिल्म रिलीज़ हो सकती है और न ही कोई नया कलाकार अपना करियर शुरू कर सकता है। वाह, क्या प्रभावशाली शख्सियत है! अब कोई बताए कि घड़ीसाज से इतना बड़ा ‘किंगमेकर’ कैसे बना जाता है? या फिर बांद्रा के ठेले पर चाऊमीन बेचते हुए ही बाबा ने फिल्म इंडस्ट्री की सफलता की रेसिपी खोज ली थी?
उद्योग नहीं, फिर भी खरबों का मालिक:
बाबा सिद्दीकी का कहना है कि उन्होंने न कोई उद्योग शुरू किया, न एक्सपोर्ट-इंपोर्ट किया, न ही कोई आईटी कंपनी बनाई, फिर भी उनके पास अरबों की संपत्ति कैसे आ गई? ऐसा लगता है जैसे उन्होंने ‘मैजिक मार्केटिंग’ या ‘प्रोडक्शन पॉवर’ का कोई गुप्त पाठ सीख लिया हो, वरना बिना किसी व्यापारिक साम्राज्य के खरबों की संपत्ति हासिल करना कोई मामूली बात नहीं है।
बॉलीवुड का ‘जादुई बॉस’:
बॉलीवुड के गॉडफादर बनने का सफर क्या घड़ीसाजी से शुरू हुआ? या फिर बाबा ने फिल्मों की जगह किसी और ‘धंधे’ की पटकथा लिख डाली? आखिर कैसे एक समय के छोटे-मोटे काम करने वाले व्यक्ति ने पूरी फिल्म इंडस्ट्री को अपनी उंगलियों पर नचाना शुरू कर दिया? बिना किसी उद्योग के करोड़ों की संपत्ति और प्रभाव, सच में यह ‘चमत्कार’ ही कहा जाएगा।
अब सवाल यह है कि…
- बाबा सिद्दीकी के पास खरबों की संपत्ति कैसे आई?
- क्या बॉलीवुड के अलावा कोई और ‘फिल्मी’ खेल हो रहा है?
- और क्या सच में घड़ीसाजी और चाऊमीन ठेले से इतनी बड़ी सफलता मिल सकती है, या फिर इसमें कुछ और ही राज़ है?
जनता के मन में उठते इन सवालों का जवाब तो जल्द ही मिलना चाहिए। आखिरकार, घड़ीसाज से लेकर बॉलीवुड के ‘बिग बॉस’ बनने का सफर किसी एक फिल्म की कहानी से कम नहीं। भारत तंत्र इस रहस्य की परतें खोलने के लिए पूरी तरह से तैयार है, क्योंकि जनता को सिर्फ मनोरंजन नहीं, सच्चाई भी चाहिए।